What is James Webb Space Telescope

What is James Webb Space Telescope

1. What is James webb / जेम्स  वेब क्या है?

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जिसे Webb और JWST  के नाम से भी जाना जाता है बेसिकली हबल स्पेस टेलीस्कोप का सक्सेसर है जो हबल द्वारा किए गए डिस्कवरी ना सिर्फ कंप्लीमेंट करेगा बल्कि उनके बारे में और बेहतर जानकारी हमको देगा बेसिकली  यह एक विशाल स्पेस बेस ऑब्जर्वेटरी है जो इंफ्रारेड वेवलेंथ के लिए ऑप्टिमाइज्ड है हबल मानव द्वारा बनाया गया  पहला टेलिस्कोप था जो स्पेस में रहकर ऑप्टिकल और  नियर इंफ्रारेड इमेजिंग कर सकता था इसने अपने 25 साल के लाइफ स्पैन में एस्ट्रोफिजिक्स साइंस में कई  गेम चेंजिंग खोजे की इसकी मदद से हमने कई एक्सोप्लैनेट को एनालाइज किया कई सुपरमैसिव ब्लैक होल खोजें कई गैलेक्सी को ग्रो करते आपस में टकराते और एक दूसरे में मर्ज होते  हुए भी देखा और हबल की उपलब्धि यहीं तक सीमित नहीं थी सरल भाषा में कहा जाए ब्रह्मांड के बारे में हम जो कुछ जानते हैं उनमें से ज्यादातर चीजें हबल के कारण ही संभव हो पाए हैं पर हबल टेलीस्कोप मैं एक कमी थी और वह यह थी कि यह ब्रह्मांड के कुछ हिस्सों को अच्छी तरह से नहीं देख सकता था |

  •  इसीलिए हमें जरूरत पड़ी James webb टेलिस्कोप की |जेम्स वेब टेलीस्कोप को नासा यूरोपीय स्पेस एजेंसी और कैनेडियन स्पेस एजेंसी तीनों ने मिलकर बनाया है |
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2. How James webb work’s / जेम्स वेब काम कैसे करता है


  •  हममें से ज्यादातर लोग यही समझते हैं की लाइट का मतलब केवल वह लाइट होता है जो हमें दिखाई देता है पर हकीकत यह है कि हमारी आंखें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के केवल एक छोटे से हिस्से को ही देख पाती है जिसे विजिबल लाइट कहा जाता है विजिबल लाइट के अलावा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम बाकी के उन सभी तरह के लाइफ को भी रिप्रेजेंट करता है जो इस ब्रह्मांड में मौजूद तो है पर जिन्हें हमारी आंखें नहीं  देख सकती हैं उदाहरण के लिए रेडियो वेब, माइक्रोवेव, इंफ्रारेड रेडिएशन, अल्ट्रावॉयलेट, रेज X-रेज और गामा रेज |
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  •  इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में मौजूद यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेबस अलग-अलग तरीके से निकलते हैं और मैटर तथा एस्ट्रोनॉमीकल ऑब्जेक्ट से भी अलग तरीके से इंटरेक्ट करते हैं इसलिए यह हमें कॉस्मिक ऑब्जेक्ट के बारे में अलग-अलग जानकारी देते हैं | टेलिस्कोप को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के डिफरेंट पोस्चर कैप्चर कर सके ताकि हम वहां भी देख सकें जो हमारी आंखें नहीं देख सकती है |

  • अलग-अलग वेवलेंथ के लाइट को ऑब्जर्व करने से हमें किसी स्ट्रक्चर के कंपोजीशन और बिहेवियर के बारे में अलग-अलग जानकारी मिलती है इसलिए इस ब्रह्मांड के बारे में जानने के लिए हम केवल विजिबल लाइट पर डिपेंड नहीं रह सकते | अगर जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की बात करें यह इस ब्रह्मांड को इंफ्रारेड रेडिएशन में ऑब्जर्व करने के लिए ही स्पेशलाइज है यह बेहद ठंडे तापमान में रहकर कॉस्मिक ऑब्जेक्ट द्वारा एमिट किए गए डीप रेडिएशन को भी कैप्चर करेगा  यह 0.6  माइक्रोमीटर से लेकर  28  माइक्रोमीटर के वेवलेंथ में सेंसिटिव होगा इसलिए यह ब्रह्मांड के शुरुआत के  बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से जानकारी देगा |
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  •  जेम्स वेब टेलिस्कोप आकार में भी काफी बड़ा है हबल जहां 2.4 मीटर मिरर का इस्तेमाल करता है वही जेम्स वेब टेलीस्कोप 6.5  मीटर मिरर का इस्तेमाल करता है ज्यादा बड़े मिरर का इस्तेमाल करने के कारण यह ब्रह्मांड में सबसे पहले  बनने वाले  ग्रहों और गैलेक्सी से आ रहे हैं धीमी रोशनी को भी डिटेक्ट करने में हबल की तुलना में ज्यादा सक्षम है हबल और जेम्स वेब में एक बड़ा अंतर यह भी है की हबल को इस तरह से डिजाइन किया गया था की पृथ्वी से एस्ट्रोनॉट वहां समय अनुसार जा सके और उसकी मरम्मत का काम कर सके |


  • यही कारण है कि अब तक कई स्पेस मिशंस के द्वारा हबल को न्यू सोलर न्यू कंप्यूटर और नए मेमोरी स्टिक इत्यादि लगाकर अपग्रेड किया जा चुका था पर जेम्स वेब टेलिस्कोप के साथ ऐसा नहीं होगा कहने का मतलब यह है कि जेम्स वेब टेलीस्कोप की ना तो हम सर्विसिंग कर पाएंगे नाही कोई अपग्रेडेशन इसका कारण यह है कि हबल  कल की तरह जेम्स वेब पृथ्वी का चक्कर नहीं लगाएगा बल्कि यह पृथ्वी से 1.5  मिलियन किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का चक्कर लगाएगा |
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  •  जेम्स वेब और हबल दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग है  हबल टेलिस्कोप मैं थोड़ी बहुत एबिलिटी इंफ्रारेड लाइट को कैप्चर करने मे जरूर है पर यह  स्पेसिफिकली अल्ट्रावॉयलेट लाइट और विजिबल लाइट को  ऑब्जर्व करने के लिए ही स्पेशलाइज्ड है वहीं अगर जेम्स वेब टेलीस्कोप की बात करें तो यह सिर्फ इंफ्रारेड में काम करने के लिए स्पेशलिस्ट है यानी कि इसका काम होगा ब्रह्मांड मैं काफी ज्यादा दूर मौजूद ऑब्जेक्ट से आ रहे बहुत धीमी इंफ्रारेड लाइट सिगनल को कैप्चर करना ताकि उनके बारे में हमें और ज्यादा जानकारी मिल सके इस बहुत कम इंफ्रारेड लाइट को कैप्चर करने के लिए यह जरूरी है कि इस टेलीस्कोप के रास्ते में कोई हिट सोर्स मौजूद ना हो नहीं तो वह हिट सोर्स  जेम्स वेब टेलिस्कोप  कोही ब्लाइंड कर  देगा यह ऐसा है कि रात में आप जलते हुए दीपक को देखने की कोशिश कर रहे हो और उसी समय कोई आपकी आंखों पर टॉर्च मारदे |
  • जेम्स वेब टेलीस्कोप को सूर्य पृथ्वी तथा चांद की गर्मी से बचाने के लिए इसमें बड़े सनशील्ड लगाए गए हैं जेम्स वेब टेलीस्कोप को ओरिजिनली साल 2007 में ही लांच करना था पर लगभग 16 लॉन्च रुकावट के बाद  आखिरकार इसे 24 दिसंबर 2021 को लॉन्च कर दिया गया और 24 दिसंबर 2022 को यह अपने लोकेशन पर सही सलामत पहुंच गया है इसने अपने विशाल सनशील्ड भी खोल लिए है अगले 5 महीने तक यह खुद को ठंडा करेगा अब तक हबल टेलीस्कोप  ने ब्रह्मांड के बारे में हमें काफी जानकारी दी है अब यह देखना दिलचस्प होगा कि  जेम्स वेब टेलीस्कोप ब्रह्मांड के किन-किन अनसुलझे रहस्यों के जवाब हमें देता है |
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3. Why it is called “James Webb Space Telescope / इस टेलीस्कोप को जेम्स वेब नाम क्यों दिया गया है


  • ओरिजिनली  इसे नेक्स्ट जेनरेशन स्पेस टेलीस्कोप या NGST  नाम दिया गया था हालांकि बाद में इसका नाम बदलकर जेम्स वेब कर दिया गया दरअसल James Edwin Webb, NASA के सेकंड एडमिनिस्ट्रेटर थे जिन्हें अपोलो मिशन को लीड करने के लिए जाना जाता है अपोलो प्रोग्राम NASA का एक प्रोजेक्ट था जिसका मकसद था चांद को एक्सप्लोर करना और मानव को चांद की सतह पर उतारना | नासा ने कुल मिलाकर 11 अपोलो मिशन को अंजाम दिया | चांद की सतह पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथी इसी अपोलो प्रोजेक्ट के तहतअपोलो 11 मिशन का हिस्सा थे |